तो मैं यहाँ हूँ। तीसरी बार भारत में।
सबसे पहले मुझे माफ़ कीजिए कि इस वक़्त मैं अपना ब्लॉग हिन्दी में लिख रही हूँ। मुझे अभ्यास करने की बड़ी ज़रूरत है।
पहले सफ़र के बारे में कुछ चीज़ें।
पिछली बार जब मैं भारत आई, मैंने तुर्की एयरलाइन्स से आने का फ़ैसला किया। और वह मुझे बहुत पसन्द आया।
फ़्लाइट की पत्रिका में सदस्यता का एक फ़ॉर्म था। मैंने सोचा की जब मैं फिर से भारत आऊँगी तो मैं हमेशा तुर्की एयरलाइन्स से आ सकूँ। क्यों नहीं ? मैंने फ़ॉर्म भर दिया था तो इस वक़्त के उड़े हुए किलोमीटर मेरे खाते में हो जाएँगे।
और जब मैं शाम को इस्तांबुल की तरफ़ उड़ रही थी, मैं समझी की तुर्की एयरलाइन्स से अनन्त वफादारी की शपथ खाना एक बहुत बहुत अच्छा फ़ैसला था। बताती हूँ क्यों।
मेरी सबसे प्रिय मछली सामन है लेकिन घर में हम सिर्फ़ क्रिसमस के आस-पास वह खाते हैं। मुझे पता था की इस उड़ान में रात का खाना सामन है (इसलिए मैं सदस्य बन गयी थी) लेकिन जब मैंने देखा की शाम का खाना भी वह है तो मैंने मन में अपनी अगली सात ज़िन्दगी के लिए भी तुर्की एयरलाइन्स से वफादारी की शपथ ले ली। :) उस से हर यात्रा क्रिसमस बन जाती है।
इस्तांबुल पहुंचकर मैंने बहुत सारे भारतीय लोग देखे और इसलिए मैं नहुत खुश हो गयी। मैं भारत और भारतीय लोगों से बहुत प्यार करती हूँ। उनको देखकर मुझे कुछ गरम, आराम सा अनुभव आता है , पता नहीं क्यों। शायद प्यार के कारण। वहाँ बैठकर मुझे लगता था की काश मैं अभी भारत में हों और मुझे दो अधिक घंटे हवाई अड्डे में और छह अधिक घंटे हवा में बिताना न हों। मैं भारत की खुशबू महसूस करना चाहती थी और पाँच महीने चल चुके हुए विजय को देखना चाहती थी।
मेरे पास एक भारतीय लड़का बैठता था जो बिलकुल इमरान ख़ान जैसा था। मैं उसके साथ एक फ़ोटो खेजना चाहती थी लेकिन मैं थोड़ी सी शर्मीली थी तो वह नहीं हुआ।
बोर्डिंग के पहले गेट के पास मैं एक भारतीय लड़के से बात कर रही थी जो कनाडा में रहता है और अपने परिवार से मिलने दिल्ली जा रहा था। हम इंतज़ार करके बहुत बात कर रहे थे, हवाई जहाज़ पे भी, और दिल्ली पहुँचकर हम साथ में हवाई अड्डे से निकले। बहार मैंने अपनी आँखों से विजय कि तलाश की और जब मिले, उसे गले लगाया। टैक्सी हमारा इंतज़ार कर रही थी तो मैंने अमित को जल्दी अलविदा कहा और विजय के साथ चली गयी।
हम शनिवार को होटल से नहीं निकले, सिर्फ़ आराम करते थे और बात करते थे। रविवार को हम नोएडा की एक सिनेमा गए मेरे सबसे प्रिय अभिनेता, आमिर ख़ान की नई फ़िल्म देखने के लिए। वह बहुत बहुत बढ़िया फ़िल्म थी। मैं उसके बारे में कुछ नहीं बताना चाहती हूँ क्योंकि मेरे खयाल से यह फ़िल्म सब को देखनी पड़ती है। उसके बाद ही हम बात कर सकते हैं।
फिर हमने मॉल में कुछ कपड़े खरीद लिए मेरे लिए और विजय के लिए भी। कुछ खाना खाते थे और होटल लौटे।
सोमवार भारत में छुट्टी थी, गणतंत्र दिवस। सुबह हमने टीवी पर समारोह देखा। वह बहुत शानदार था। भारतीय सेना की इकाइयाँ भारत की अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग वर्दी पहनकर राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक मार्च करते थे। फिर भारत के हर प्रदेशों की एक गाड़ी आई जिस पर एक-एक प्रदेश की विशिष्ट चीज़ें रखी हुई थी। प्रदेश का लोक संगीत चल रहा था और गाड़ी के पास लोग प्रदेश का नाच करके चल रहे थे। फिर हर मंत्रालय की भी एक-एक गाड़ी आई जिस पर मंत्रालय का ख़ास काम और महत्त्वपूर्ण उद्देश्य दिखाई देते थे। फिर कुछ लोग मोटर बाइक पर कलाबाजी के गुर करके आ रहे थे, बच्चे नाचते थे। अंत में हवा में भारतीय वायु सेना की प्रस्तुति रहती थी। गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि श्री बराक ओबामा, अमेरिका का राष्ट्रपति और उनकी पत्नी थी। मैं चाहती थी कि हम यह सब दिल्ली जाकर, जनपथ के पास बैठकर देखें लेकिन विजय ने कहा की इस वक़्त वहाँ जाना आतंकी खतरों के कारण अच्छा नहीं है। कम से कम हम टीवी पर समारोह देख सकते थे। शायद ऐसे देखना ज़्यादा अच्छा था।
शाम को हम दिल्ली गए मेरी भारतीय प्रोफेसर, रमा जी के पति और बेटे से मिलने, क्योंकि मेरे पास कुछ चीज़ें थी उनके बेटे, अनिरुद्ध के लिए। हम उनके घर गए जहाँ मैंने अनिरुद्ध को उपहार दिए और हम सब ने बातचीत की। कुछ देर बाद हमने साथ में रात का खाना खाया। राजीव जी ने हमारे लिए कुछ दक्षिण भारतीय खाना लाया क्योंकि विजय दक्षिण भारत से है। फिर हमने चाय पी और गाजर का हलवा खाया। उसके बाद हम नोएडा लौटे। दिल्ली मेट्रो से यात्रा करना मुझे हमेशा की तरह पसन्द आया। :)
हफ्ते के दिनों में कुछ खास नहीं होता है, सुबह मैं नाश्ता बनाती हूँ जब विजय नहाता है, फिर हम साथ में नाश्ता करते हैं और वह काम करने दफ़्तर जाता है। मैं बर्तन माँजती हूँ और कपड़े धोती हूँ। दोपहर के आस-पास विजय हम दोनों के लिए खाना लाता है फिर वापस जाता है। रात को हम खाकर कुछ फ़िल्म देखते हैं टीवी पर।
हम इस हफ्ते के अंत में तीन दिन के लिए चंडीगढ़ जाएँगे, मैं अपने ब्लॉग की दूसरी प्रविष्टि सिर्फ़ उसके बाद करुँगी।
तब तक मेरा आशीर्वाद आप सब के साथ हो।
नमस्कार। _/\_
सबसे पहले मुझे माफ़ कीजिए कि इस वक़्त मैं अपना ब्लॉग हिन्दी में लिख रही हूँ। मुझे अभ्यास करने की बड़ी ज़रूरत है।
पहले सफ़र के बारे में कुछ चीज़ें।
पिछली बार जब मैं भारत आई, मैंने तुर्की एयरलाइन्स से आने का फ़ैसला किया। और वह मुझे बहुत पसन्द आया।
फ़्लाइट की पत्रिका में सदस्यता का एक फ़ॉर्म था। मैंने सोचा की जब मैं फिर से भारत आऊँगी तो मैं हमेशा तुर्की एयरलाइन्स से आ सकूँ। क्यों नहीं ? मैंने फ़ॉर्म भर दिया था तो इस वक़्त के उड़े हुए किलोमीटर मेरे खाते में हो जाएँगे।
और जब मैं शाम को इस्तांबुल की तरफ़ उड़ रही थी, मैं समझी की तुर्की एयरलाइन्स से अनन्त वफादारी की शपथ खाना एक बहुत बहुत अच्छा फ़ैसला था। बताती हूँ क्यों।
मेरी सबसे प्रिय मछली सामन है लेकिन घर में हम सिर्फ़ क्रिसमस के आस-पास वह खाते हैं। मुझे पता था की इस उड़ान में रात का खाना सामन है (इसलिए मैं सदस्य बन गयी थी) लेकिन जब मैंने देखा की शाम का खाना भी वह है तो मैंने मन में अपनी अगली सात ज़िन्दगी के लिए भी तुर्की एयरलाइन्स से वफादारी की शपथ ले ली। :) उस से हर यात्रा क्रिसमस बन जाती है।
इस्तांबुल पहुंचकर मैंने बहुत सारे भारतीय लोग देखे और इसलिए मैं नहुत खुश हो गयी। मैं भारत और भारतीय लोगों से बहुत प्यार करती हूँ। उनको देखकर मुझे कुछ गरम, आराम सा अनुभव आता है , पता नहीं क्यों। शायद प्यार के कारण। वहाँ बैठकर मुझे लगता था की काश मैं अभी भारत में हों और मुझे दो अधिक घंटे हवाई अड्डे में और छह अधिक घंटे हवा में बिताना न हों। मैं भारत की खुशबू महसूस करना चाहती थी और पाँच महीने चल चुके हुए विजय को देखना चाहती थी।
मेरे पास एक भारतीय लड़का बैठता था जो बिलकुल इमरान ख़ान जैसा था। मैं उसके साथ एक फ़ोटो खेजना चाहती थी लेकिन मैं थोड़ी सी शर्मीली थी तो वह नहीं हुआ।
बोर्डिंग के पहले गेट के पास मैं एक भारतीय लड़के से बात कर रही थी जो कनाडा में रहता है और अपने परिवार से मिलने दिल्ली जा रहा था। हम इंतज़ार करके बहुत बात कर रहे थे, हवाई जहाज़ पे भी, और दिल्ली पहुँचकर हम साथ में हवाई अड्डे से निकले। बहार मैंने अपनी आँखों से विजय कि तलाश की और जब मिले, उसे गले लगाया। टैक्सी हमारा इंतज़ार कर रही थी तो मैंने अमित को जल्दी अलविदा कहा और विजय के साथ चली गयी।
हम शनिवार को होटल से नहीं निकले, सिर्फ़ आराम करते थे और बात करते थे। रविवार को हम नोएडा की एक सिनेमा गए मेरे सबसे प्रिय अभिनेता, आमिर ख़ान की नई फ़िल्म देखने के लिए। वह बहुत बहुत बढ़िया फ़िल्म थी। मैं उसके बारे में कुछ नहीं बताना चाहती हूँ क्योंकि मेरे खयाल से यह फ़िल्म सब को देखनी पड़ती है। उसके बाद ही हम बात कर सकते हैं।
फिर हमने मॉल में कुछ कपड़े खरीद लिए मेरे लिए और विजय के लिए भी। कुछ खाना खाते थे और होटल लौटे।
सोमवार भारत में छुट्टी थी, गणतंत्र दिवस। सुबह हमने टीवी पर समारोह देखा। वह बहुत शानदार था। भारतीय सेना की इकाइयाँ भारत की अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग वर्दी पहनकर राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक मार्च करते थे। फिर भारत के हर प्रदेशों की एक गाड़ी आई जिस पर एक-एक प्रदेश की विशिष्ट चीज़ें रखी हुई थी। प्रदेश का लोक संगीत चल रहा था और गाड़ी के पास लोग प्रदेश का नाच करके चल रहे थे। फिर हर मंत्रालय की भी एक-एक गाड़ी आई जिस पर मंत्रालय का ख़ास काम और महत्त्वपूर्ण उद्देश्य दिखाई देते थे। फिर कुछ लोग मोटर बाइक पर कलाबाजी के गुर करके आ रहे थे, बच्चे नाचते थे। अंत में हवा में भारतीय वायु सेना की प्रस्तुति रहती थी। गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि श्री बराक ओबामा, अमेरिका का राष्ट्रपति और उनकी पत्नी थी। मैं चाहती थी कि हम यह सब दिल्ली जाकर, जनपथ के पास बैठकर देखें लेकिन विजय ने कहा की इस वक़्त वहाँ जाना आतंकी खतरों के कारण अच्छा नहीं है। कम से कम हम टीवी पर समारोह देख सकते थे। शायद ऐसे देखना ज़्यादा अच्छा था।
शाम को हम दिल्ली गए मेरी भारतीय प्रोफेसर, रमा जी के पति और बेटे से मिलने, क्योंकि मेरे पास कुछ चीज़ें थी उनके बेटे, अनिरुद्ध के लिए। हम उनके घर गए जहाँ मैंने अनिरुद्ध को उपहार दिए और हम सब ने बातचीत की। कुछ देर बाद हमने साथ में रात का खाना खाया। राजीव जी ने हमारे लिए कुछ दक्षिण भारतीय खाना लाया क्योंकि विजय दक्षिण भारत से है। फिर हमने चाय पी और गाजर का हलवा खाया। उसके बाद हम नोएडा लौटे। दिल्ली मेट्रो से यात्रा करना मुझे हमेशा की तरह पसन्द आया। :)
हफ्ते के दिनों में कुछ खास नहीं होता है, सुबह मैं नाश्ता बनाती हूँ जब विजय नहाता है, फिर हम साथ में नाश्ता करते हैं और वह काम करने दफ़्तर जाता है। मैं बर्तन माँजती हूँ और कपड़े धोती हूँ। दोपहर के आस-पास विजय हम दोनों के लिए खाना लाता है फिर वापस जाता है। रात को हम खाकर कुछ फ़िल्म देखते हैं टीवी पर।
हम इस हफ्ते के अंत में तीन दिन के लिए चंडीगढ़ जाएँगे, मैं अपने ब्लॉग की दूसरी प्रविष्टि सिर्फ़ उसके बाद करुँगी।
तब तक मेरा आशीर्वाद आप सब के साथ हो।
नमस्कार। _/\_

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